dc.contributor.author | संपादक, तरुण भारत | |
dc.date.accessioned | 2022-02-18T04:31:27Z | |
dc.date.available | 2022-02-18T04:31:27Z | |
dc.date.issued | 2016-01-18 | |
dc.identifier.uri | http://localhost:8080/xmlui/handle/1/1917 | |
dc.publisher | ताराराणी विद्यापीठ | en_US |
dc.title | पारतंत्र्यातील गोष्टी आजच्या व्यवस्थेसाठी घातक : शिंदे : १८ जानेवारी २०१६ | en_US |